Friday, December 9, 2011

नेताजी... तुमको मिर्ची लगी तो मैं क्‍या करूं


गोविंदा की फिल्‍म कुली नंबर 1 का गीत आपको याद होगा- मैं तो रस्‍ते से जा रहा था, मैं तो भेलपूड़ी खा रहा था, तुमको मिर्ची लगी तो मैं क्‍या करुं.... सच पूछिए तो यह गीत आजकल फेसबुक को छोड़ बाकी तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स गा रही हैं, जिन पर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्‍बल ने नकेल करने की कोशिशें की हैं। असल में यह मिर्ची केवल सिब्‍बल को नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी को लगी है, जो र्पोन तस्‍वीरों का नाम लेकर झल्‍ला रही है।

यह मामला तब शुरु हुआ जब सिब्बल ने कंपनियों के मालिकों के लिए फरमान जारी किया कि वो अपनी साइट्स पर हो रही आपत्तिजनक और अश्‍लील फोटो और कंमेट पर लगाम कसें वरना सरकार को कुछ गाइडलाइन तय करनी होगी। जिसके सामने फेसबुक ने तो घुटने टेक दिये, लेकिन गूगल और याहू ने साफ तौर पर मना कर दिया है।

यहां सोचने वाली बात यह है कि आज ऐसी कौन सी बात हो गयी, जिसके चलते सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है। कपिल साहब कहते हैं कि वो किसी भी धार्मिक और प्रतिष्ठित हस्तियों के खिलाफ कोई भी अश्लील बात बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसलिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जो हो रहा है उसे हर हाल में रोकना जरूरी है।

सच पूछिए तो सिब्‍बल समेत सभी बड़े कांग्रेसी नेताओं को अपनी उन तस्‍वीरों को देख मिर्ची लगी, जिसमें यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की गोद में दिग्विजय सिंह को और, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की गोद में सिब्‍बल को दर्शाया गया है। ऐसी ही एक तस्‍वीर में सोनिया मनमोहन को नचाते हुए दिख रही हैं।

भाजपा नेताओं ने इसे कांग्रेस का दर्द करार देते हुए कहा कि यह व्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। देखा जाये तो भाजपा इस प्रकरण का मजा ले रही है। अगर वाकई में गंभीर होती तो यह सवाल नहीं उठाती कि यह पाबंदी अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का हनन है। अगर अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता की ही बात है तो भाजपा तब कहां थी जब देश के काबिल और मशहूर कलाकार एम एफ हुसैन को देश निकाला का फरमान सुनाया गया था। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वो देवी-देवताओं को मूर्तियों पर अपने विचारों का ब्रश चला देते थे।

जिसको कि भाजपा ने ही अश्‍लीलता करार दिया था और इसी विरोध के चलते मकबूल फिदा हुसैन को कई अदालतों के चक्कर लगाने पड़े और नतीजतन मरते वक्त एक कलाकार को ना तो अपने देश की हवा नसीब हुई और ना ही दफन होने के लिए मिट्टी। उन्‍हें भारत में नहीं, लंदन में दफनाया गया था।

जिस कांग्रेस को अब मिर्ची लग रही है, वो तब कांग्रेस का जमीर क्‍यों नहीं जागा। उसने भी भाजपा की बातों का सम्मान करते हुए हुसैन साहब को देश से बाहर जाने दिया। जो भाजपा आज कपिल सिब्बल की आलोचना कर रही है उसने भी चंद सालों पहले वही किया था, जो आज कांग्रेस करना चाह रही है। उसने भी तो किसी की स्वतंत्रता के अधिकार को छीनने की कोशिश की थी और वो कामयाब भी रही।

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