Friday, December 23, 2011

लोकपाल पर संसद बना फिल्मी भवन, सांसद बनें कलाकार


दोस्तों, आज कल हमारा संसद भवन किसी रणक्षेत्र से कम नहीं। बात-बात पर वहां हल्ला मच जाता है जिसमें से आधे दिन तो संसद को स्थगित करना पड़ता है। संसद और सांसदो के हालात को देखकर हिन्दी फिल्मों के कई क्लाइमेक्स सीन आंखो के सामने गुजर जाते हैं। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि फिल्म में हमें पता है कि नायक कौन और खलनायक कौन?

यहां यह बात सोच पाना थोड़ा मुश्किल है। अब गुरूवार को पेश हुए लोकपाल बिल को ही ले लें। जिस तरह से बिल संसद में पेश किया गया और उसके बाद उस पर लोगों की आपत्तियां दर्ज करायीं गयीं। यह सब कुछ किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं था। ..अगर हम इस पूरे प्रकरण को फिल्मी अंदाज में पेश करें तो शायद आपको पूरी बात समझ में आ जायेगी।

अगर आप को हमारी बात पसंद ना आये तो हमें माफ करते हुए अपनी नाराजगी को नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में दर्ज करायें और अगर पसंद आ जाये तो मुस्कुराकर तारीफ के दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। हमें इंतजार रहेगा। तो चलिए शुरू करते हैं संसद का फिल्मी सेशन...

गुरूवार दिन के 3.30 बजे...

लोकपाल बिल पर सरकार की साख दांव पर है, अगर बिल बन गया तो उसकी जीत है और नहीं बना तो यूपीए की मुसीबत। लेकिन यूपीए सुप्रीमो सोनिया गांधी ने अपनी टीम को हौंसले बुलंद करते हुए बोलीं- 'सोचना क्‍या जो भी होगा देखा जायेगा'...। हम सशक्त बिल लेकर आये हैं और यही पारित होगा। इसलिए यूपीए की पूरी टीम ने बिल को संसद के पटल पर रखा और बैकग्राउंड गीत बजा...

'सुन मितवा...सुन मितवा तुझको क्या डर है रे...अपनी यह धरती है...अपना अंबर है ..रे..आजा रे'

आश्चर्य नहीं कि सांसदो के घर पर यह गाना भगवान के नाम की तरह लिया जाता हो।

लोकपाल बिल के पेश होते ही विरोधियों ने अपना राग अलापा कि यह बेकार और कमजोर बिल है इसे हम पारित नहीं होने देगें। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज अपनी जगह खड़ी होकर कानून की बारीकियां गिनाते हुए मुस्कुरा कर गातीं हैं

'जिसका मुझे था इंतजार..जिसके लिए दिल था बेकरार..प्यार में हद से गुजर जाना है तो मार देना है तुझको या मर जाना है'

सुषमा के तीखे वाण का जवाब देने वित्तमंत्री प्रणब दा खड़े हुए. उन्होंने सविनय भाव से निवेदन करते हुए कहा कि इस बिल के हर मुद्दे पर बहस होगी और उन्हें यकीन है कि यह बिल पारित होगा उसे कोई नहीं रोक सकता है जिसे वो अगर गाकर कहते थे तो अंदाज शायद ये होता है कि

'नहीं समझें हैं वो हमें तो क्या जाता है..हारी बाजी को जीतना हमें आता है...यहां के हम सिंकदर..चाहें तो कर दें सबको अपनी जेब के अंदर..हमसे पंगा मत लेना मेरे यार'

इसके बाद खड़े हुए राजग प्रमुख लालू प्रसाद यादव। जिन्होंने कहा कि अगर लोकपाल आया तो वो तो दारोगा बन जायेगा, वो तो सीधे पीएम का कॉलर पकड़े गा .. जो कि गलत है..हम विरोध कर रहा हूं तो हमें भ्रष्ट कहा जा रहा है। केजरीवाल और बेदी हमें भ्रष्टाचारी कहते हैं अरे वो क्या हमें समझे जो खुद हमारे सामने बच्चे हैं। हमें बदलने चले हैं जिन्हें खुद कुछ नही आता। शायद लालू के इस बयान पर पीछे से संगीत बजता

'नफरत करने वालों के सीने में आग भार दूं..मैं तो वो परवाना हूं जो पत्थर को मोम कर दूं'

यह थी गुरूवार को संसद के अंदर की गतिविधियां..अब जरा बाहर चलते हैं, लोकपाल बिल पेश हुआ, बहस 27 को होगी। स्पीकर मीरा कुमार ने ऐलान किया और पीएम मनमोहन सिंह लोकसभा सदन से बाहर निकले लेकिन टीवी पत्रकारों से टकरा गये, सवाल पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि बिल पारित हो जायेगा उन्होंने मुस्कुराकर हां बोला, हमें पता है कि हम सही है. इसलिए हम सफल होंगे।...

'हम होंगे कामयाब...पूरा है विश्वास है..हम होंगे कामयाब'

अब बात निकली तो दूर तलक जायेगी ही..प्रतिक्रियाओं का दौर जारी हुआ ..अन्ना और अन्ना टीम ने बिल को खारिज किया और जमकर कांग्रेस को कोसा.. केजरीवाल ने बकायादा प्रेसवार्ता करके बिल की ऐसी-तैसी कर दी और कहा कि अनशन और आंदोलन करेगें। सरकार खुद को तानाशाह समझती है यानी कि वो गाते कि

'खुद को क्या समझती है..इतना अकड़ती है'

केजरीवाल ने निशाना साधा तो कांग्रेसस महासचिव दिग्विजय सिंह कहा चुप रहने वाले गरज कर बोले...

'जिनके घर शीशे को हो केजरीवाल..वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं फेंका करते'

जोड़ का तोड़ करने वाले दिग्गी राजा से जब मीडिया ने पूछा कि आप इस तरह की बयानबाजी क्यों करते हैं तो उनका जवाब होता है

'मेरी मर्जी …..मैं चाहे ये करूँ मैं चाहे वो करूँ..मेरी मर्जी.. मैं केजरीवाल को चांटा मारूं.या अन्ना को कहूं ढोंगी मेरी मर्जी'

दिग्विजय सिंह पर तो भाजपा की नजरें तीखी हैं ही क्योंकि दिग्गी राजा का कहना है कि अन्ना और उनकी टीम आरएसएस और भाजपा के इशारे पर काम कर रही है, जिस पर भाजपा ने उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित कर दिया है। वो कहती है...

'ये तो पगला है..समझाने से समझे ना'

यह तो रहा पूरा फिल्मी पॉलिटिकल शो ..जो आपके सामने पेश किया गया।। यह फिल्म का एक अंक था जो 22 को खत्म हो गया... लेकिन पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त...जिसे हम आगे आपको बतायेंगे तब तक आप हमारा इंतजार करते रहिए और सोचते रहिए कि आगे क्या होगा? हम जल्द हाजिर होंगे..बने रहिए हमारे साथ..नमस्कार।

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