Monday, February 14, 2011
वेलेंटाइन डे स्पेशल: इस दर्द में मजा है...
प्यार एक खूबसूरत एहसास है, बेहतर यही है कि इसे सिर्फ आप रूह से महसूस करें, तभी आप प्यार का आनंद ले पायेंगे। अक्सर ये शब्द आपको कहानियों में सुनने को मिलते है। किसी के लिए ये शब्द बेहद खास होते है तो किसी के लिए कोई मायने नहीं रखते है इसलिए तो आपको आप ही के समाज में देवदास भी मिलते है जो अपने प्यार को खो देने की वजह से अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते है। और इसी समाज में हमें अपने प्यार को जीतने वाले लोग भी दिखायी देते है, भले ही समाज उसे स्वीकारे या नही।
खैर हम यहां ये जिक्र नहीं करेंगे कि क्या सही है और क्या गलत क्योंकि ये ऐसी बहस है जो किसी द्रोपदी की साड़ी से कम नहीं है, जितना बढ़ाओगे बढ़ती है चली जायेगी। आज हम यहां जिक्र करते है उन प्रेमी जोड़ियों की जो प्यार की नई ईबादत लिख गये लेकिन कभी एक नहीं हो पाये। रोमियो-जूलियट से लेकर राधा-कृष्ण तक... हर किसी का प्यार पाक और निर्मल है लेकिन अफसोस ये कभी एक नहीं हो पाया। बात चाहे मीरा की हो या फिऱ शबरी की हर जगह प्यार तो है लेकिन मिलाप नहीं।
आज पूरी दुनिया वेलेंटाइन डे मना रही है , हर तरफ प्यार की बयार है लेकिन अगर इस डे की सच्चाई के बारे में जानेंगे तो पायेगे कि आज का दिन भी किसी के मौत का दिन है जिसे दुनिया ने एक सेलिब्रेशन का डे बना दिया है। क्या करें सोसायटी ही ऐसी है जिसे लोगों के दर्द में मजा आता है। ये बेरहम समाज प्रेमी-प्रेमियों की जूदाई का ही आनंद लेता है, शायद इसे उस दर्द में ही मजा आता है। आज दुनिया आकाश में उड़ रही है लेकिन उसके विचार आज भी किसी दखियानुसी दल-दल में दबे हुए हैं। तभी तो आज भी अगर कोई लड़की अपने से अपनी जिदगी का फैसला करती है तो उसे जिंदगी नहीं मौत मिल जाती है। साल 2010 में हुए ऑनर किलिंग की घटनाएं इस बात का जीता-जागता सबूत हैं।
आपको पता है कि साल 2010 में ऑनर किलिंग की सबसे ज्यादा घटना हरियाणा में हुई है। एक प्रतिष्ठित पत्रिका के सर्वे के मुताबिक हरियाणा में बीते साल 300-500 के बीच ऑनर किलिंग की घटनाएं सामने आयी है। घटना में मारी गई लड़कियों का दोष सिर्फ और सिर्फ इतना ही था कि कि उन्होंने अपने से अपना जीवन साथी चुन लिया था। ऐसा नहीं है कि मारी गई लड़कियां अशिक्षित या नाबालिग थी, बल्कि ये वो लड़कियां थी जो सभ्य समाज की परिभाषा गढ़ती है।
दिल्ली की प्रतिष्ठित बिजनेस स्टैन्टर्ड की पत्रकार निरूपमा पाठक इसका साक्षात उदाहरण है। कोडरमा के घर में वो सिर्फ इस लिए मार दी गई क्योंकि वो अपने पिता के खिलाफ अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी। उसका जुर्म सिर्फ इतना था कि उसने प्यार किया था। हर मीडिया चैनल ने इस खबर को खूब प्रसारित किया क्योंकि ये वो ही समाज है जिसे दर्द में मजा आता है।
आज वेलेंटाइन डे है, हर चैनल, अखबार प्रेम के संदेशो से भरे हुए है, हर कोई कह रहा है कि अपने प्यार का इजहार करो, अपने प्यार को अपने पास बुला लो लेकिन यही लोग कल इस बात को प्रसारित करेंगे कि लड़के-लड़की के प्रेम के इजहार पर दोनों को मार दिया गया। अब बताइये कोई कैसे दहशत के साये में प्यार करें। आखिर क्यों कोई नहीं लोगों की सोच में परिवतिन करने की बात करता है, शायद अगर ऐसा हो जाये तो हमारे समाज को कि सी 14 फरवरी की जरूरत ही ना पड़े। लेकिन क्या करे लोगों के लोगों के दर्द में मजा आता है। अब आप ही बताइये क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कुछ शाश्वत मूल्यों को अपना समाज कत्तई नहीं छोड़ना चाहता ,उसमें यह प्यार वाला चक्कर भी है.
ReplyDeleteजहाँ तक आनर किलिंग का मामला है उसे कभी भी -कहीं भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता.
और यह भी सच है की वैलेंटाइन डे का अभ्युदय हमारे समाज में अभी एक दशक से हुआ है,प्यार तो हमारे यहाँ सदैव एहसास का विषय रहा है-प्रदर्शन का नहीं.
कडुवा है पर सच है
ReplyDeleteNice one.......
ReplyDeleteThat's so nice.Keep writing like this.This is the universal truth.
ReplyDelete