Saturday, August 14, 2010

हम आजाद हैं?

साथियों 15 अगस्त गया है, आजादी का दिन जिसे पाने के लिए जानेकितनी मां की गोद सूनी हो गई थी और जाने कितने बच्चे यतीम। शहीदों के बलिदान की वजह से मिली इस आजादी को हम १५ अगस्त के रूप में मनातेहैं। लेकिन एक सवाल हमेशा हमारे जेहन में आता है कि क्या वास्तव में हमआजाद है, क्योंकि आज भले ही हमारे ऊपर अंग्रेजो की बंदिशे नहीं हैं लेकिन रूढ़िवादी परंपराए आज भी सांस लेने में तकलीफ पैदा करती हैं।

भाई-भाई खून के प्यासे
आज हमारे देश में अंग्रेजों का आतंक नहीं लेकिन दो गज जमीन के लिए दो सगे भाई खून के प्यासे हो जाते हैं।कभी कश्मीर की वादियों में फूटते बमों की आवाज तो कभी मणिपुरवासियों की रोती बिलखती आवाजें। कभीतेलंगाना को लेकर मची हाय-तौबा तो कभी गुजरात, बिहार में जातिवाद झगड़ा क्या ये सब हमें आजादी का एहसास कराते हैं। आज भारत को आजाद हुए 63 साल हो चुके हैं। देश अपना 64 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।लेकिन जरा गौर फरमाए इन 63 सालों में देश की बुनियादी जरूरते आज भी वहीं है जो आज से 63 साल पहले हुआकरती थी। यानी की रोटी, कपड़ा और मकान।

महंगाई ने कमर तोड़ दी है

ऐसा नहीं है कि देश में अनाज नहीं है, व्यापार नहीं है, सब कुछ है लेकिन दिशा और गति नहीं है क्योंकि कोईमार्गदर्शक नहीं है। आज करोड़ों का गेंहूं सड़ रहा है, वहीं गेंहूं अगले साल सैकड़ो में बिकेगा, क्योंकि हमारे पासस्टोरेज नहीं है। मतलब ये कि किसानों की मेहनत इस बार भी बेकार क्योंकि उम्मीद से ज्यादा की उपज काखरीददार नहीं है और अगले साल भी बेकार क्योंकि ज्यादा पैसा का अनाज कोई खरीदेगा नहीं। यही नहीं देशनवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करता है, लेकिन उसी देश का वासी अपनी बेटी या बहन को मौत के हवाले करते उससमय एक पल भी नहीं सोचता जिस समय उसे पता चलता है कि उसकी बेटी या बहन ने अपनी शादी का फैसला खुद कर लिया है। साल भर में हुए ऑनर किलिंग के उदाहरण आपके सामने हैं।
ऑनर किलिंग बन गया है रिवाज
एक बात और आज लोग 15 अगस्त को छुट्टी दिन समझते हैं क्योंकि इस दिन लोगों को अपने ऑफिस से छुट्टीजो मिल जाती है, इस बार के 15 अगस्त से शायद हमारे कुछ साथी निराश हो सकते है कारण इस बार का 15 अगस्त रविवार को जो है यानी की एक छुट्टी खत्म। बच्चों के लिए 15 अगस्त स्कूलों में एक सांस्कृतिक समारोहका परिचायक बन गया है। उन्हें ये तो पता है कि 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है क्योंकि किताबों में इसकीपरिभाषा लिखी होती है, स्कूल के टीचर बच्चों को रटवा कर इस बात को याद करा देते हैं। लेकिन क्या ये बच्चे जोकल के भावी नागरिक है उन्हें एहसास है कि देश के लिए 15 अगस्त किसी पूजा या धर्म से कम नहीं है। नहीं होगाक्योंकि उन्हें बताने वाला कोई नहीं है, आज लोग कामयाबी के पीछे भाग रहे हैं काबिलियत के पीछे नहीं।
15 अगस्त मतलब छुट्टी का दिन
आज देश का बच्चा ये कहता है कि मैं इंजीनियर या डॉक्टर बनूंगा लेकिन कोई नहीं कहता कि मैं सच्चा देशभक्तबनूंगा, सब की इच्छा होती है कि कि भगत सिंह पैदा हों लेकिन हमारे घर में नहीं बल्कि पड़ोसी के घर में। लेकिनदोस्तों हम आजाद है, हां हम आजाद है अपने कर्तव्यों से जो हमारा अपने मां-बाप, अपने शिक्षक, अपने समाजऔर अपने देश के प्रति हैं।

आज देश के युवाओं का मकसद गाड़ी, मोटर, बंग्ला है कि देश को गरीबी, आतंकवाद और अशिक्षा से मु्क्तकराना। आज बापू, नेहरू, शास्त्री, पटेल के इस देश में लोग उत्सव मनाते है लेकिन अपनी शादियों का, अपनेजन्मदिन का, अपनी कामयाबी का, भई मनाये भी क्यों , क्योंकि वो आजाद जो ठहरे, देश की कौन सुनता है वोतो कल भी बेबस था और आज भी बेबस है। अंतर सिर्फ इतना है कि कल उसे गुलामी की जंजीरों ने जकड़ा थाआज उसे अपनों की बेरूखी ने जकड़ रखा है।

2 comments:

  1. सच और सार्थक आलेख

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  2. wish you a very happy independence day....the article is really good

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