Thursday, March 18, 2010


हनी पदाई में बहुत अच्छा है.उसे घर पर किसी टीचर की कोई जरुरत नहीं...लेकिन उसकी मम्मी ने जिद कर के उसके लिए घर पर टीचर का इंतजाम किया है... दलील ऐसी की आप भी सुने तो हैरान रह जाएँ...हनी की मम्मी का कहना है कि ....हनी के पापा ऊँची पोस्ट पर हैं...अच्छा-खासा कमाते हैं... आखिर लोग सुनेगें तो क्या कहेंगे यही ना ...कि क्या करेंगे इतने पैसे का..जब अपने बच्चे को ट्यूशन ही नहीं लगवा सकते.......





ऐसा ही कुछ हमारे घर के बगल रहने वाले खन्ना साहब का हाल हैं...जनाब ने नया मकान ख़रीदा है...बेडरूम काआकार ठीक -ठाक था...लेकिन जनाब अपनी हेकड़ी में खरीद लाये किंग साइज़ बेड..क्योकिं उनके जूनियर के घरपर किंग साइज़ बेड था ..... यह बात औरहैं कि अब उनके बेडरूम में चलना -फिरना भी दूभर हैं...पूछने पर जवाब वो ही एक कि आखिर लोग क्या कहते .....कि इनके पास अपने जूनियर से घटिया सामान है










लेकिन इन सब में बाजी मारी श्रीमती खरे ने...जिन्होंने हाल ही में अपनी बेटी की शादी की है... लड़का विदेश में हैं ..उनकी बेटी को भी शादी के बाद वही जाना था....लड़की के ससुरालवालों का साफ़ कहना था कि ..लड़की को शादी में केवल जरुरत भर का सामान दिया जाये..कपड़ो पर ज्यादा पैसा खर्चा न किया जाये। लेकिन मिसेज खरे .. कहाँ मानने वाली थी..ले आयीं बाज़ार से २१ साड़ियाँ .....क्योंकि उनकी ननंद ने अपनी बेटी को इतनी ही साड़ियाँ उसकी शादी में दी थी..तो भला लोग भाभी का नंनद के सामने मजाक नहीं उड़ाते ...लोग कुछ न कहें .इसलिए
मिसेज खरे ने फालतू में लाखों का खर्चा कर डाला...यह बात और हैं कि उनकी बेटी एक भी साड़ी अपने साथ ले नहीं गयी ....लेकिन हाँ लोगों कि जुबान खामोश हैं...और लोग कुछ नहीं कह रहें हैं...ऐसा उनका यानी श्रीमती खरे का मानना हैं ....

लोग क्या कहेंगे ? का सिलसिला अंतहीन हैं ...समाज इस संक्रामक बीमारी से बुरी तरह ग्रसित हैं... आपको जानकर हैरानी होगी ही हमारे समाज में 80 प्रतिशत लोगों के झगड़े और परेशानी का कारण...लोग क्या कहते हैं या लोग क्या कहेंगे ....हैं.....
समाज और परिवारों के बीच बहुत ही खुबसूरत और महत्त्वपूर्ण रिश्ता होता है...जैसे परिवार में घर का बड़ा सारे फैसले लेता हैं ..अपने से छोटों को गलत-सही कि राह दिखता हैं ..घर में शांति और खुशनुमा वातावरण बना रहे इसलिए वो कभी -कभी रुखा व्यवहार भी अपनाता हैं...परिवार ही आगे चलकर समाज को जन्म देते हैं...परिवार के सुख -दुःख में समाज ही सच्चा साथी बनकर साथ निभाता हैं..लेकिन कभी-कभी ये पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाता है..जिसके दो कारण हैं..पहला तो ये की कोई परिवार समाज को दर किनार कर के अपने नियम खुद बना लेता हैं..जिन पर चर्चा फिर कभी होगी ...दूसरा कारण ये कि ....कभी कभी समाज गाईड ....की जगह... दारोगा ....बन जाता हैं.जो बिना कारण लोगों पर फब्तियां कसने से बाज नहीं आता....रीति-रिवाजो का बना फंदा परिवार का गला घोंटने लगता है ..ऐसे हालात में "लोग क्या कहेंगे?" की बीमारी जड़ पकड़ कर फलने फूलने लगती हैं...महिलाएं इस रोग की ज्यादा शिकार होती हैं..जिसके चलते हैसियत से ज्यादा खर्च कर जाती हैं...लेकिन क्या वाकई में लोग दिखावे से प्रभावित होते हैं ? शायद नहीं ....क्योंकि लोग अगर कहना छोड़ देंगें तो उनका खाना कैसे पचेगा ?इसलिए मेरी लोगों से विनती हैं की वो अपने खर्च अपने अनुसार करें ना कि लोगों के मुताबिक...कल्याण इसी में हैं कि अपनी सीमायें समझ कर खर्चा पानी करें ..और दिखावे की जनता को नमस्कार करें......
लेकिन मै आप को नमस्कार करने से पहले एक रोचक किस्सा जरुर बताना चाहूंगी.... जिसके बिना मेरी पूरी बात अधूरी है.....हुआ यूँ कि मेरी कालोनी में एक मिस्टर सिंह रहते हैं..... जिनकी आदत ही है लोगों कि कमी निकालना ..शायद ऐसा करने से ही उनका खाना पचता है...कालोनी में नए आये मिस्टर अग्रवाल ..जिन्होंने अपना गृह-प्रवेश का प्रोग्राम रखा और दावा किया कि मिस्टर सिंह को उनकी आदत से तौबा करवा कर दम लेंगें..बेतहाशा खर्च किया...पानी कि तरह पैसा बहाया...नतीजा भी यह हुआ कि लोग वाह-वाह कर उठे...सबसे बड़ी बात हैं कि मिस्टर सिंह ने भी कह दिया क्या अग्रवाल साहब क्या पार्टी दी हैं... लेकिन क्या आप को नहीं लगता कि आप ने छोटे से काम के लिए बहुत ज्यादा खर्चा कर दिया है.....क्या यह पागलपन नहीं हैं.???..अब मिस्टर अग्रवाल को काटो तो खून नहीं...बेचारे पैसे खर्च कर भी लोगों कि बातें सुन रहे थे....
खैर सच्चाई यही है मेरे दोस्त.....
चाहे अच्छा करो या बुरा ....लोग तो कहेंगे ही....
क्योंकि
उनका तो काम ही है कहना ....

2 comments:

  1. सही है दोस्त लोगों का काम है कहना
    ये बात आप खूब सम्ह्जते हैं ब्लॉग की दुनिया में स्वागत है और बधाई
    आभार

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  2. सबसे पहले तो आपका इस अनूठे मंच पर स्वागत है...लोग क्या कहेंगे विषय पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति को एक सूत्र में जिस तरह आपने विचारबद्द किया है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है...हम उम्मीद करते हैं कि आपकी लेखनी आगे भी ऐसी ही जारी रहेगी...

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